छोड़ी है देह, वतन की छोड़ी नहीं मिट्टी।
मुक्तक
छोड़ी है देह, वतन की छोड़ी नहीं मिट्टी।
नापाक दुश्मनों से दी है, देश को मुक्ति।
कैसा है मेरा देश, कोई दे खबर मुझे,
आती नहीं जाती नहीं, कोई तार व चिट्ठी।
……✍️ प्रेमी
मुक्तक
छोड़ी है देह, वतन की छोड़ी नहीं मिट्टी।
नापाक दुश्मनों से दी है, देश को मुक्ति।
कैसा है मेरा देश, कोई दे खबर मुझे,
आती नहीं जाती नहीं, कोई तार व चिट्ठी।
……✍️ प्रेमी