छोटे दिल वाली दुनिया
दुनिया है बहुत बड़ी ,
मगर सबके दिल है छोटे ।
बाहर से दिखते तो है भलेमानस ,
मगर भीतर से दिल के खोटे।
दिखावा तो करते अपने पन का ,
तो क्या सच में यह अपने हैं होते ?
साजिश और धोखा इनकी फितरत ,
अपने जाल में किस तरह फंसाते।
मुंह के तो बनते हैं सभी लोग मीठे,
मगर वास्तव में यह आस्तीन के सांप होते ।
झोलियां भर दो,बस लेना इनका काम ,
मगर कुछ देने को इनके हाथ बंध जाते ।
गैरों के अहसानों को भूलने वाले ,
सही मायनों में कृतघ्न ही तो कहलाते !
किसी की उन्नति इनके देखी नहीं जाती ,
कदम कदम पर मुसीबतों की दीवार खड़ी करते ।
कोई शरीफ ज़ादा कैसे रहे तेरी दुनिया में ,
खुदाया ! इनसे निभाने का हुनर सिखा दे ।
हम तेरे दर पर बस यही फरियाद करते ।