छोटे छोटे प्रयास
सूरज भी कहाँ
छू लेता है शिखर
एक ही बार में
अनन्त आकाश में।
अपनों का साथ
छोड़ना पड़ता है।
चाँद सितारों से मुख
मोड़ना पड़ता है।
कुछ पाने के लिए
कुछ खोना पड़ता है।
रोज़ डूबता है
रोज़ जगाता है आस।
गिर कर,उठता है
धीरे धीरे बढ़ता है
पाता है मंज़िल
करके छोटे छोटे प्रयास ।
धीरजा शर्मा