छोटी-छोटी बातों में लड़ते हो तुम।
यूँ छोटी-छोटी बातों में लड़ते हो तुम,
दिल ही दिल में प्यार करते हो तुम,
मै न बोलूँ तुम से आहेंं भरते हो तुम,
आँखों ही आँखों से कुछ कहते हो तुम।
यूँ छोटी-छोटी बातों में लड़ते हो तुम।।…..(१)
खुद को मनाने को पीछे पड़ते हो तुम,
खरी-खरी बातों से इशारा करते हो तुम,
ओठों को दबाके कुछ कहते हो तुम,
रूठ-रूठ कर के एहसास दिलाते हो तुम।
यूँ छोटी-छोटी बातों में लड़ते हो तुम।।…(२)
दूर-दूर रह कर यूँ तड़पाते हो तुम,
पास आके नखरे दिखाते हो तुम,
चुप-चुप रह कर मुसकुराते हो तुम,
करते हो प्यार दिल में छुपाते हो तुम।
यूँ छोटी-छोटी बातों में लड़ते हो तुम।।…(३)
रचनाकार-
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश
मौदहा
हमीरपुर।