छोटी-छोटी चींटियांँ
छोटी-छोटी चींटियांँ,
चलती हैं एक पंगत में,
काली भूरी दिखती हैं ,
जी भर कर मेहनत करती हैं ,
मीठे-मीठे व्यंजन में,
झटपट से भीड़ जुटाती हैं ,
प्यारी चींटी ढ़ेरों चींटी ,
छेड़ोगे तो काटेगी तेजी ,
नन्हीं जान बसती चींटी में ,
संगठित हो काम करती जीती है ,
सब बच्चे सीखो इन चींटियों से ,
अनुशासन रखती सदियों से ।
# बुद्ध प्रकाश ;मौदहा हमीरपुर