छोटी कहानी : माँ की सीख
छोटी कहानी : माँ की सीख
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कंपनी का बहुत बड़ा वार्षिक कार्यक्रम था। करीब 1000 कर्मचारी कंपनी में काम करते थे। राकेश भी उसमें से एक था।
समारोह में कंपनी के प्रेसिडेंट अपना भाषण तैयार करके लाए थे और जब उनका नाम पुकारा गया तो पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। प्रेसिडेंट साहब ने कंपनी के संबंध में कर्मचारियों के समक्ष अपना भाषण आरंभ करने से पूर्व लिखित भाषण की फाइल निकाली और पढ़ना शुरू किया। सब भाषण को सुनकर गद्गद थे। बहुत सुंदर भाषण था। लिखा हुआ बहुत अच्छा था और प्रेसिडेंट साहब उसे बहुत अच्छे ढंग से पढ़ रहे थे।
लेकिन यह क्या ! राकेश देखकर दंग रह गया। एक पृष्ठ पढ़ने के बाद प्रेसिडेंट साहब ने अपनी उंगली ..दाहिने हाथ की उंगली को जीभ से छुआ.. थूक को थोड़ा -सा चाटा …और जब उंगली पर थोड़ा सा थूक आ गया तब उससे उन्होंने भाषण का पन्ना पलटा और फिर सहज भाव से भाषण देने में लग गए ।
कितना बुरा लगा राकेश को…. याद आया कि उसकी मां भी इसी बात पर उसे टोकती थीं । स्कूल में पढ़ते समय घर पर होमवर्क करते हुए राकेश अक्सर ऐसी ही गलती करता था । कॉपी का पन्ना थूक से उंगली को चाटकर पलटता था और मां कहती थी …”यह क्या बदतमीजी है ..यह बुरी बात है… ऐसा नहीं करते”।
पहली बार माँ ने समझाया । फिर भी राकेश ने जब सिखाने के बाद भी कोई सबक नहीं लिया तो याद है राकेश को… कि मां ने एक चांटा जोरदार उसके गाल पर जड़ा था और राकेश भन्नाकर रह गया था।
समारोह में एकाएक राकेश का ध्यान अपने गाल पर चला गया। उसने अपने गाल को हल्के से सहलाया और सोचने लगा-” अगर प्रेसिडेंट साहब को मेरी जैसी मां मिली होतीं और उन्होंने भी मेरी तरह इनको समझाकर या गाल पर चांटा मारकर बलपूर्वक बुरी आदतों से छुटकारा दिलाने के लिए कुछ किया होता तो आज इतने बड़े पद पर पहुंचने के बाद प्रेसिडेंट साहब को सबके सामने अपमानित नहीं होना पड़ता”।
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लेखक: रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा ,रामपुर