छोटी कविता
कसम विश्वास की-
जो साथ तेरा,
हो सुलभ मुझको-
हर दर्द का सहरा,
भी पगडंडी बस्नेग।
शेष न राह जाएगी-
शंका कोई हमको,
हर स्वांस एक एक-
स्वर्ग की देहरी रचेगा।।
यह भी क्या नगमा है,
मेरी जिंदगी का यार।
जो कि हर साज पे,
गाया नहीं जाता।
आवाज जब देता कोई,
चाहे डोर से ही सही।
हम सोचते रह जाते हैं ,
जाया नहीं जाता।।