” छोटा सिक्का”
” छोटा सिक्का”
खेल खेल और दिन भर की मस्ती में
छीना झपटी में होता है ऐसा भी तो
छूटता जब हाथ से खनक कर तब
छम छम नाच दिखाता छोटा सिक्का,
जहां लें सामान वहीं खुल्ले पैसे मांगते
परचून की दुकान की है आवश्यकता
दान पेटियों में बहुतायत में है मिलता
दन दन दनदनाता है छोटा सिक्का,
छोटे बड़े आकार और भिन्न प्रकार हैं
रंग रूप में आजकल अलग दिखता
सुनहरा रंग सबकी आंखो को सुहाता
चम चम चमचमाता है छोटा सिक्का,
बाल मन के गुल्लक की शोभा बढ़ाता
पॉकेट में डालें तब खन खन है बजता
रानू रोमी की तिजोरी का तो हीरा है ये
बच्चों का मन लुभाता छोटा सिक्का।