बड़ी मीठी थी
छोटा था तो मम्मी ने
भूख नही लगी कहने पे
आटे सने हुए हाथ से
प्यार से थप्पड़ मारा था
वो मार बड़ी मीठी थी ।
अपनी उदारता से फलीभूत
फल गिरा था धरा पर
अंत था उसका मगर
बीज का प्रारंभ था
वो हार बड़ी मीठी थी।
नए पथ का नाप लेने
पथ पुराना त्यागकर के
अंत की पुकार सुनकर
श्वास छोड़ मोक्ष पाया
वो पुकार बड़ी मीठी थी।
© अभिषेक पाण्डेय अभि