Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Nov 2021 · 4 min read

जैविक पिता।

जैविक पिता।
सारा गांव-जवांर जनै कि छोटका मालिक खवास के जनमल हैय। लेकिन छोटका मालिक अइ बात से अंजान रहै। आखिर अंजान केना न होयत।केकरा में इ हिम्मत होयत,इ बात छोटका मालिक के बताबे के। लेकिन एगो अप्रत्याशित घटना से पता चल गेल कि हम खवास से जनमल छी।हमर जैविक पिता खवास हैय।
घटना इ भेल कि खवास छोटका मालिक के चाय पीये लेल लबैत रहे कि टेबुल पर धरे के बेर हाथ से कप छूट गेल आ चाय गिर के छोटका मालिक के नयका सूट पर गिर गेल। छोटका मालिक आग बबूला हो के बिगड़ लन।खबासी करते करते बुढा गेल, परंच अब तक अकिल न भेल हैय। मारे ला हाथ उठैलन।खबास बोले लागल, मालिक मालिक….! इ शोर के छोटका मालिक के माय सुनते, दौड़ल आयल आ हाथ पकड़ के जोर से बोललैन- इ कि कैला बौआ।इ तोहर बाप छथून। इसे तोहर जैविक पिता छथून।इनकरे तू जनमल छा।इ माय,तू कि बोले छी।हां बौआ हम सही कही छिओ। हां बौआ,इ बात तोहर बाबू जी भी जनैत रहलथून ह। तोरा जनम होय से तीन महीना पहिले हमरा सब के छोड़ के दुनिया से चल गेलथून।तोहर बाबू जी के खवास जरूर रहथून, लेकिन तोहर जन्मदाता बाप छथून।चल जा इनका से गोर ध के माफी मांगा। छोटका मालिक आंख में आसू ले के ,गोर ध के बोललन, हमरा माफ क द बाबू जी। छोटका मालिक,हुनकर माय आ खबास बाबू, तीनों आदमी आपस में खुशी से लिपट गेलन।
कुछ देर बाद छोटका मालिक के माय अहिल्या देवी अपना कमरा में जाके पलंग पर पड़ रहलन।आंखि मूंद ले अतीत के याद मे खो गेलन। भगवती पुर के पूर्व जमींदार के एकलौता पुत्र रवीन्द्र प्रताप से विआह भेल। रवीन्द्र प्रताप पच्चीस बरख के बांका जवान रहतन।गोर भुराक। बड़का बड़का आंख।कारी मोछ। चौड़ा सीना। देखते मन मोह लेलन।
अहिल्या रामपुर के पूर्व जमींदार के बेटी रहे। तेइस बरख के अहिल्या गौर वर्ण के युवती रहे। अंडाकार चेहरा।कुइश आंखि। कमर तक लटकैत कारी केश। उन्नत उरोज के स्वामिनी अहिल्या के देखते रवीन्द्र प्रताप दिवाना भे गेलन।
कुछ दिन बाद होली रहे। होली के दिन रवीन्द्र प्रताप चुपके चुपके पीछे से आके अहिल्या के बांह में भर ले लेन आ चेहरा में ललका रंग लगा देलन।आ फेर अबीर लगा देलन।
जौं अहिल्या चेहरा में हरियरका रंग लगाबे के लेल रवींद्र प्रताप के लेल बढल। रबीन्द्रनाथ प्रताप हरियरका रंग से बचे लेल पीछे के ओर अपन डेग कैलन।कि भटाक द रंग आ पानी से भीजल पक्का फर्श पर पीछर गेलन।हुनका रीढ के हड्डी में जबरदस्त चोट लगलैन।आ वो शरीर स अशक्त हो गेलन।
अहिल्या आ रवीन्द्र प्रताप के खुशहाली दुःख दर्द में बदल गेल।परंच अइ दुःख दर्द में सहारा भेल रवींद्र प्रताप के साथी आ खवास रामवरन महतो।रामवरन हठ्ठा कठ्ठा जवान रहे। गेहूंआ रंग।औठिया केश,कारी मोंछ। चौरा छाती। देखे में आकर्षक पुरुष।
रामवरन महतोआ रवीन्द्र प्रताप के उमर एके रहे।गांव के स्कूल में पांचवा तक साथे साथे पढे।साथे खेले।गरीबी के कारण रामवरन आगा न पढ पायल।रामवरन अपन साथी आ पूर्व जमींदार रवींद्र प्रताप के इहां खवासी करे लागल।परंच रवीन्द्र प्रताप रामवरन के अपन साथी के लेखा माने। अहिल्या भी रामवरन के अपन पति के साथी जैसन मान दे।परंच रामवरन रवीन्द्र प्रताप के मालिक आ अहिल्या के मालकिन माने।
रवीन्द्र प्रताप अहिल्या के दुख देख के बड दुखी होय। रवीन्द्र प्रताप अहिल्या के शारीरिक सुख देबे में अक्षम हो गेल रहे।परंच अहिल्या त जवान रहे।
एकटा दिन अहिल्या के सामने रवीन्द्र प्रताप रामवरन के कहलक-देखा रामवरन तू हमर खवास न हमर साथी छा। अहिल्या तोरा हमर साथी लेखा मानौ हैय।हम आब शारीरिक रूप से अशक्त छी। आब अहिल्या के खुश रखे आ पुत्र सुख देवे के भार हम तोहरा देव छियो। अहिल्या के ओर देख के रवीन्द्र प्रताप कहलन-अहिल्या आबि तू रामवरन के साथी के रूप में स्वीकार करा । अपना वंश के चलाबे के लेल एगो पुत्र त चाही।एहन घटना सभ महाभारत काल में भी होयल रहे। धृतराष्ट्र,पांडू आ विदुर के जनम अपन पिता से न भेल रहे वरना ऋषि वेदव्यास से भेल रहे। ऋषि वेदव्यास धृतराष्ट्र पांडू आ विदुर के जैविक पिता रहे।अपन पुत्र के जैविक पिता रामवरन होते त कोनो हरज न। हमरा दुनू गोरे के स्वीकार त करिहे के परतै। संकोच न करा। अहिल्या सिर झुका के मौन सहमति दे देलक।रामवरन सिर झूला के मौन स्वीकृति देलक।
आबि अहिल्या आ रामवरन में प्रेम अंकुरित भ गेल। अहिल्या आ रामवरन रवीन्द्र पताप के खूब सेवा करे।अइ बीच अहिल्या गर्भवती भे गेल। रवीन्द्र प्रताप अचानक अइ दुनिया से विदा भे गेलन।तीन महिना के बाद छोटका मालिक पैदा भेल।खवास रामवरन छोटका मालिक के जैविक पिता बन गेल।
इ सभ घटना चल चित्र जेखा अहिल्या देखत रहै कि छोटका मालिक के आवाज-माय माय से स्मरण विखंडित भे गेल।

स्वरचित@सर्वाधिकार रचनाकाराधीन ।
-आचार्य रामानंद मंडल सामाजिक चिंतक सीतामढ़ी।

Language: Maithili
551 Views

You may also like these posts

14. *क्यूँ*
14. *क्यूँ*
Dr .Shweta sood 'Madhu'
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
#क्या_पता_मैं_शून्य_हो_जाऊं
The_dk_poetry
*अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )*
*अभिनंदन श्री अशोक विश्नोई जी ( दो कुंडलियाँ )*
Ravi Prakash
गंगा की पुकार
गंगा की पुकार
Durgesh Bhatt
नया सवेरा
नया सवेरा
AMRESH KUMAR VERMA
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
तस्वीर तुम्हारी देखी तो
VINOD CHAUHAN
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती “
ऐसे इंसानों के जीवन की शाम नहीं होती “
Indu Nandal
उत्तर से बढ़कर नहीं,
उत्तर से बढ़कर नहीं,
sushil sarna
असफल लोगो के पास भी थोड़ा बैठा करो
असफल लोगो के पास भी थोड़ा बैठा करो
पूर्वार्थ
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
#गहिरो_संदेश (#नेपाली_लघुकथा)
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
गायब हुआ तिरंगा
गायब हुआ तिरंगा
आर एस आघात
.
.
*प्रणय*
भेज भी दो
भेज भी दो
हिमांशु Kulshrestha
याद रखना
याद रखना
Pankaj Kushwaha
बातों की कोई उम्र नहीं होती
बातों की कोई उम्र नहीं होती
Meera Thakur
नव प्रबुद्ध भारती
नव प्रबुद्ध भारती
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
ईगो का विचार ही नहीं
ईगो का विचार ही नहीं
शेखर सिंह
कोई तो डगर मिले।
कोई तो डगर मिले।
Taj Mohammad
Love yourself
Love yourself
आकांक्षा राय
शाम ढलते ही
शाम ढलते ही
Davina Amar Thakral
Success Story-2
Success Story-2
Piyush Goel
"उड़ान"
Dr. Kishan tandon kranti
फल और मेवे
फल और मेवे
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
हर घर एक तिरंगे जैसी
हर घर एक तिरंगे जैसी
surenderpal vaidya
-बहुत देर कर दी -
-बहुत देर कर दी -
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
मुझको इंतजार है उसका
मुझको इंतजार है उसका
gurudeenverma198
"ख़ामोशी"
Pushpraj Anant
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
बदमिजाज सी शाम हो चली है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
2901.*पूर्णिका*
2901.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...