छूता है मेरा मन
जब जब तू
छूता है मेरा मन
बस आहट
जब जब तू
बने मेरा काजल
बस रोंमाच
जब जब तू
मेरे कपोल पर
बस बैचैन
जब जब लूँ
जप तेरा मैं नाम
बस उदास
जब जब तू
अन्तस में मेरे
बस मुस्कां
जब जब तू
शब्द बेधी बनता
निस्सार होता
जब सोचू मैं
तुझमें बदलाव
बस फासला
जब कहू मैं
अजब अन्तराल
बेहद दूर