Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Aug 2023 · 1 min read

छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l

छुप जाता है चाँद, जैसे बादलों की ओट में l
मुझे तेरी बाहों में, वैसे ही गुम हो जाना हैं ll

243 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
पढ़ो लिखो आगे बढ़ो...
डॉ.सीमा अग्रवाल
3311.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3311.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
बैठा के पास पूंछ ले कोई हाल मेरा
शिव प्रताप लोधी
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
जाने कितनी बार गढ़ी मूर्ति तेरी
Saraswati Bajpai
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
हमारा अस्तिव हमारे कर्म से होता है, किसी के नजरिए से नही.!!
Jogendar singh
17== 🌸धोखा 🌸
17== 🌸धोखा 🌸
Mahima shukla
देख लेते
देख लेते
Dr fauzia Naseem shad
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
जनहित में अगर उसका, कुछ काम नहीं होता।
सत्य कुमार प्रेमी
आँखों से रिसने लगे,
आँखों से रिसने लगे,
sushil sarna
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
जिन्हें बरसात की आदत हो वो बारिश से भयभीत नहीं होते, और
Sonam Puneet Dubey
!! सोपान !!
!! सोपान !!
Chunnu Lal Gupta
खुद को पागल मान रहा हु
खुद को पागल मान रहा हु
भरत कुमार सोलंकी
#उलझन
#उलझन
krishna waghmare , कवि,लेखक,पेंटर
अब   छंद  ग़ज़ल  गीत सुनाने  लगे  हैं हम।
अब छंद ग़ज़ल गीत सुनाने लगे हैं हम।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
ठण्डी राख़ - दीपक नीलपदम्
ठण्डी राख़ - दीपक नीलपदम्
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
तन्हाई से सीखा मैंने
तन्हाई से सीखा मैंने
Mohan Pandey
पिता की इज़्ज़त करो, पिता को कभी दुख न देना ,
पिता की इज़्ज़त करो, पिता को कभी दुख न देना ,
Neelofar Khan
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
तुम जिसे झूठ मेरा कहते हो
Shweta Soni
सर्दियों की धूप
सर्दियों की धूप
Vandna Thakur
इतना रोई कलम
इतना रोई कलम
Dhirendra Singh
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
मिसरे जो मशहूर हो गये- राना लिधौरी
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
नदी की करुण पुकार
नदी की करुण पुकार
Anil Kumar Mishra
" अगर "
Dr. Kishan tandon kranti
किस्मत का खेल
किस्मत का खेल
manorath maharaj
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
*खत आखरी उसका जलाना पड़ा मुझे*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
#दीनदयाल_जयंती
#दीनदयाल_जयंती
*प्रणय*
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
वो नींदों में आकर मेरे ख्वाब सजाते क्यों हैं।
Phool gufran
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
वहम और अहम में रहना दोनो ही किसी व्यक्ति के लिए घातक होता है
Rj Anand Prajapati
दर्पण
दर्पण
Kanchan verma
खानाबदोश
खानाबदोश
Sanjay ' शून्य'
Loading...