” छुपी प्रतिभा “
डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
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चौसठ कलाओं के हम महारथी तो हो नहीं सकते ..परन्तु कला पारखी होने की उत्कंठा हमारी रहती ही है ! हमें कुछ कलाओं के दर्शन इन फेस बुक के पन्नों पर मिल जाते हैं पर कुछ छुपी कलाओं को हम नहीं पहचान पाते ! फासले हमें समझने से बंचित करता है ! तमाम मित्रों में प्रतिभा छुपी पड़ीं है ! हरेक व्यक्ति के पास कलाओं का भंडार होता है ! हम पास होते हैं तो हमारी परखी नजर उन्हें पहचान लेती है ! कोई मधुर बोल बोलता है ..कोई गीत गुनगुनाता है …किन्हीं में भाषण देने की क्षमता कूट-कूट कर भरी है …कोई कविता रचता है ,लेख लिखता है ! बहुत लोग ऐसे भी हैं जो अभिनय के दिग्गज माने जाते हैं ! किसी को फूलों से श्रृंगार करना आता है ! कोई चित्रकार है ..तो कोई उभरता कलाकार है ! …आखिर दूर रहकर हम इन प्रतिभाओं को नहीं जान पाते ! पहले ही नहीं ..आज भी स्कूलों में एक्स्ट्रा केर्रिकुलर एक्टिविटी ,खेल -कूद ,वाद -विवाद ,सांस्कृतिक कार्यक्रम इत्यादि होते हैं !…इन्हीं माध्यमों से हमें सारी कलाओं का निरीक्षण हो जाता है !…पर हम इन कलाओं के कलाकार होते हुए भी फेसबुक के पन्नो पर प्रदर्शित नहीं कर पाते ! …हम भाग दौड़ की जिंदगी में ऐसे लिप्त हो चुके हैं कि हम समय के आभाव की दुहाई देने लगते हैं ..और आगे बढ जाते हैं !..हम कुछ ऐसे भी है कि फेसबुक में अपना खाता खोल दिया ..और ..सालों तक भूमिगत हो गये !….अपने मित्रों के करीब आना है तो हमें उनकी भावनाओं और कलाओं को परखना होगा ..अन्यथा फेस बुक के पन्नों में तश्वीर को ही देख संतोष करना होगा !
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डॉ लक्ष्मण झा ” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
नागपथ
शिव पहाड़
दुमका
झारखण्ड
भारत