छुपा रहा हूं मैं।
अब ऐसा क्या है जिसको छुपा रहा हूं मैं,
आज कल खुद से दूरी बना रहा हूं मैं,
वो कुछ बातें जो कहना बहुत ज़रूरी है तुमसे,
उसी को कहने से खुद को बचा रहा हूं मैं,
मैं जानता हूं मोहब्बत इसी का नाम है,
जो तेरी यादों को भी अपना बना रहा हूं मैं,
अभी भी सोच ही रहा हूं तुम्हारे बारे में,
बस सोच – सोच के मुस्कुरा रहा हूं मैं,
मोहब्बत हुई और मिलो भी तुम,ये ज़रूरी तो नहीं,
बस यही बात सोच कर घबरा था हूं मैं,