छुपा रखा है।
मैंने आँखों में इक अंदाज़ छुपा रखा है,
अपने होठों पर इक राज़ छुपा रखा है।
ऐ दोस्त यूँ न कुरेदो मुझे,
मैंने इस दिल में सैलाब छुपा रखा है।।
यूँ उभारोगे तो निकल आएगा
एक-एक धागा इस दिल का,
ढँकने को किसी गरीब की इज़्ज़त,
मैने इक लिबास छुपा रखा है।
ये समंदर भी कम पड़ जाएगा बुझाने को,
मैंने सीने में वो आग छुपा रखा है।।
तेरे आने का ताउम्र रहेगा इंतेज़ार मुझे,
यूँ ही नहीं दिल में तेरा प्यार छुपा रखा है।।
ऐ दोस्त यूँ न कुरेदो मुझे,
मैंने इस दिल में सैलाब छुपा रखा है।।
© अभिषेक पाण्डेय अभि