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24 Mar 2020 · 3 min read

छुई -मुई का पेङ है ।

छज्जे पर चढती हुई ।
है पूरी ओ हरी -हरी ।
हाथ से छूने पर मुर्झाती ।
जैसे लगे वो शर्माती ।
जैसे दूर मै जाता हूँ ।
जैसे वो खिल जाती है ।
बहुत लगे बारीक सी है ।
पत्ती उसकी खड़ी -खड़ी ।
जिधर से देखो है मुस्काती ।
पूरी मस्ती मे सराबोर है ।
मेरे घर के आंगन मे।
एक छुई -मुई का पेङ है ।
बैठ जहां पल भर भी ।
लगी रहती सी होङ है ।
घास, पेङ न देखा ऐसे ।
सजीवता सीधी दिखती है ।
ऐसा लगता है जैसे वो ।
सुख -दुःख वो समझती है ।
खुशियो बिखेरे हर ओर वो ।
लगी उसकी ढेर है ।
मेरे घर के आंगन मे ।
एक छुई -मुई का पेङ है ।
लोग लगाते चम्पा चमेली ।
खिले हुए सुर्ख गुलाब है ।
छुई -मुई के आगे लगते ।
सब बेहद उदास है ।
ढूंढ कर लाया था मै उसको ।
अपने ताल तलैया से ।
देखा वहां बिखरी हुई ।
पानी के हर कोर मे ।
गहरा जल था बहुत पर ।
पर गहरी अपनी सोच थी ।
उसके पाने की चाहत मे ।
चोट भी लगती खरोंच थी ।
उतार अपना पतलून ।
जल मे बढ गए हम रख जुनून ।
शैवाल खींचते थे हमको पानी मे ।
पांव रूके कैसे जवानी मे ।
ले उमंग उत्साह और साहस ।
पहुंच गए तृण के करीब ।
जरखा सहित उखाङा उसको ।
होके अपने मस्ती मे चूर ।
आया भागता फिर तो गृह को ।
बिखरेगी छुई -मुई अब तो आंगन मे ।
मिलता बङा सुकून है ।
खुरपी से मिट्टी खोदकर ।
लगाया उसको जमीन मे ।
रोज दे फुहारा पानी का ।
हरियाली की शौकीन है ।
छत पर चढी रस्सी के सहारे ।
चाह छूने की चांद और तारे ।
बिखेरी अपनी छटा फैलकर ।
छत हरियाली का बिस्तर है ।
ब्रह्ममुहूर्त हूं उठ जाता ।
स्वस्थ, निरोगी जीवन पाता ।
ओस उसपर बिखरे ऐसे लगे ।
जैसे कोई मोती के कण है ।
देख -देख मन ।
विह्वल हो उठता ।
लगे यही पर जन्नत का मेङ है ।
मेरे घर के आंगन मे।
एक छुई -मुई का पेङ है ।
है कौतूहल ये बना हुआ ।
छूने पर कैसे सिकुङ गया ।
क्या इस तृण मे ।
जो नजरो को मोङ लिया ।
खुश है देखकर सारे पड़ोसी ।
चर्चा इसकी चारो ओर है ।
मेरे घर के आंगन मे ।
छुई -मुई का पेङ है ।
पेङ नही हमको ये लगता ।
सब तृणो मे मशहूर है ।
पेङ कहूँ या घास कहूं मै ।
सब चलता तोङ मरोङ है ।
मेरे घर के आंगन में ।
एक छुई -मुई का पेङ है ।
ऐसा लगता घर आंगन मे ।
सोंख हंसी गुलनार है ।
जिसके हरीतिमा से पूरा ।
मेरा घर गुलजार है।।
लगे है वो देवतरू का ।
कोई अवतार है ।
रोमांच का ये बना खिलौना ।
फिर भी है क्यो उगा हुआ ये ।
जब ये मिट्टी करेङ है ।
मेरे घर के आंगन मे ।
एक छुई -मुई का पेङ है ।

Rj Anand Prajapati

Language: Hindi
1 Like · 262 Views
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