*छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)*
छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है (हिंदी गजल)
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1)
छिपी रहती सरल चेहरों के, पीछे होशियारी है
मदद जो दे रहे हैं उनके, हाथों में कटारी है
2)
मदद लेने से पहले बंधु, सौ-सौ बार फिर सोचो
मदद के मूल में षड्यंत्र, अक्सर पाया भारी है
3)
मदद नि:स्वार्थ इस जग में, कभी कोई नहीं देता
मदद मीठी भले दीखे, मगर भीतर से खारी है
4)
खिंचाते जो रहे फोटो, मदद देने की घर आकर
समझ यह लीजिए उनकी, मदद केवल प्रचारी है
5)
मदद सरकार से मिलना, शुरू जब से हुई समझो
हुई सरकार की संस्था, रही अब कब हमारी है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 75451