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6 Jun 2023 · 1 min read

छाया धुंध का राज गगन में

छाया धुँध का राज गगन में
फैला विष है आज चमन में
तरुवर पात सभी मुरझाये
मानों झुलसे बड़ी अगन में ।

झूठे बोल कुहासा आया
उसने घेरी भोर अकड़़ में
भूमंडल में घुटती साँसें
शुद्ध हवा अब नहीं पकड़ में ।

धूल धुएँ के कण मंडराते
करते ऊधम गाँव नगर में
दमा अस्थमा खाँसी टी बी
आ जाते हम मनुज भँवर में ।

सभी दिशाएँ धुँधलायी सी
हुई साँझ बीमार पहर में
रूप सिंदूरी कहाँ खो गया
लोभ मोह की सुखद लहर में ।

सुरसा सी बढ़ती इच्छाएँ
लेशमात्र भी नहीं ठहर में
जानबूझ अनजान बने सब
बहक रहे हैं नयी बहर में ।

गाड़ी ए सी अब घर घर में
इनके बिना न शान शहर में
रूप यही भौतिक विकास का
खुश हैं हम दो घूँट ज़हर में ।

डॉ रीता सिंह
चन्दौसी ,सम्भल

Language: Hindi
1 Like · 220 Views
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