छाती मै घा कर दे
नदंलाल जी की लुगाई के बारे मे एक बेहतरीन रचना…
टेक: छाती मै घा कर दे,कड़वा बोल लुगाई का!
बड़े बड़े नै पाट्या कोनी तोल लुगाई का!
निगाहं प्रीतम की खंचि रहै,सूरत चरण मै जचीं रहै!
जै बुरे कर्म तै बची रहै, तो कै मोल लुगाई का!…..१
कभी हरा दे कभी जीता दे,कभी भुला दे कभी चेता दे!
कभी भर दे कभी रीता दे,खाली डोल लुगाई का…..२
तीरछी नज़र लखाव हंस के,छुटै ना ईसा पकड़ ले कस के!
कामी जन ग्राहक रस के,गोल कपोल लुगाई का!…..३
कर खयाल उघाडै मतना,दे परदा डाल उघाडै मतना!
नदंलाल उघाडै मतना,ढका हुआ ढोल लुगाई का!…..४
बड़े बड़े नै पाट्या कोनी……….
कवि…..श्री नदंलाल शर्मा
टाइपकर्ता…..दीपक शर्मा