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15 Jun 2023 · 1 min read

*छह माह (बाल कविता)*

छह माह (बाल कविता)

कभी किनारे नहीं सुलाना
गिर पलंग से वरना जाना
पलटी मार रही है मुनिया
बदल रही है इसकी दुनिया
अब छह माह हुए हैं पूरे
ढंग सीखती नए-अधूरे

रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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