छह दिसबंर / मुसाफिर बैठा
छह दिसबंर
मज़हबी मुसलमानों को याद रहना चाहिए
और सनातनी हिंदुओं को भी
याद तो यह दिन
अन्य मुसलमानों और हिंदुओं को भी रहना चाहिए
और गैर हिन्दू गैर मुसलमानों को भी
स्मरण में रहना चाहिए यह दिवस
हर मानवी मानव को और अमानुष को भी
जेहन में रहे हरदम यह दिन
हर अम्बेडकरवादी के
और तमाम तरक़्क़ीपसन्द लोगों के
कि बाबरी मस्जिद का देह भंग किया गया था 1992 में इसी दिन
और इसी दिन सन 1956 में बाबा साहेब की देह ने खोये थे प्राण!
यह दिन अविश्वास के निर्माण और निर्माण के ध्वंस का दिन है
और, मनुष्य की भिन्न प्रकृति और क्षमता का अभिन्न और विडंबना बोध कराने वाला भी।
निष्पत्ति यह भी कि
‘मुसाफ़िर’ धागा प्रेम का
मत तोड़ो जोड़ो बिना जांचे-परखे हड़बड़ाए!
ठगाए तो हड़के ऐसे कि
आप आगे साफ़ प्रेम करना ही भूल जाएं!!