छल कपट की दुनिया
छल कपट की दुनिया
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धधक रही है दिल में ज्वाला,
अंगारे बनकर ।
शांत करो ये अग्नि,शांत करो ज्वाला,
शीतलता दो नदियां की धारा बनकर।
धधक रही है हर प्राणी में,
बदले की धारा ।
प्रेम मय हो धरा का हर मानव—
हृदय से क्लेश मिटा दो सारा ।।
छल कपट के रिश्तों में,
बंधा है हर कोई ।
देख कर जगत का विभत्स रूप,
में बहुत बहुत रोई।।
काश!वो समझते दिल की पीड़ा को,
मेरे अरमानों और टूटे सपनों को।
जिंदगी भी एक किताब है होती।
पढ़ कर सब किताबों से—–
ज्ञान पाते हैं,वेद , गीता,और रामायण
की शिक्षा है देती।।
सबसे अच्छी दोस्त अकेले पन की होती है।
सूनापन सारा खत्म कर,
हमदर्द बनती है।।
पथ में कोई साथ न दे,
मंजिल भी अगर दूर है।
पढ़ लेना किताब के पन्ने,
सबसे जिगरी दोस्त है ।।
धधक रही है दिल में ज्वाला———-
सुषमा सिंह*उर्मि,,