छलौं अंखिया केऽ नूर…
छलौं अंखिया केऽ नूर…
( मैथिली लोकगीत)
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छलौं अंखिया केऽ नूर, पापा किये कयलहुँ दूर।
हमरा लऽ चलु ने…
सबहक दिल कऽ टुकड़ा, सौंप देयलहुँ ककरा।
हमरा लऽ चलु ने…
हम नै जनलहुँ बाबा, किनकर ई बुलावा।
लऽ जेता हमरा…
हम छी बेटी जरूर, तैय लेल अहां मजबूर ।
तैयौ ल चलु ने…
छलौं अंखिया केऽ नूर, पापा किये कयलहुँ दूर।
हमरा लऽ चलु ने…
हम तेऽ पापा जानी, अहूंँ हमरा लेल कानी।
छुपावै छी किये,
रही- रही तकैछी बाट, देखु बैसल छी उदास।
हमरा लऽ चलु ने…
छलौं अंखिया केऽ नूर, पापा किये कयलहुँ दूर।
हमरा लऽ चलु ने…
कियो संगी अछि न साथी, दीया बिन जेना बाती।
कहब ककरा…
अहां पंडिजी लग जाऊ, जा कऽ शुभ दिन तकाऊ।
हमरा लऽ चलु ने…
छलौं अंखिया केऽ नूर, पापा किये कयलहुँ दूर।
हमरा लऽ चलु ने…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित।
© ®
गीतकार – निरुपमा कर्ण
कटिहार (बिहार)
तिथि – २३ /१० /२०२१
मोबाइल न. – 8271144282