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14 Jul 2024 · 1 min read

छलिया तो देता सदा,

छलिया तो देता सदा,
अपनों को संत्रास ।
पूछ रहा वह हाल अब,
छलिया बनकर दास ।।

सुशील सरना / 14-7-24

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