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24 May 2021 · 1 min read

छलावा

**मनहरण घनाक्षरी**
***** छलावा ******

प्यार नही छलावा है।
दुनिया मे दिखावा है।।
भरोसा कहीं न रहा।
प्रेम अंधा ही रहा।।

स्त्री करती मनमानी।
कौन होगा दिलजानी।।
अदा उसकी मस्तानी।
नर करे नादानी।।

आदम जात निराली।
जहाँ देखे हरियाली।।
वारे उसके है न्यारे।
झट से मुँह मारे।।

मनसीरत की वाणी।
बात कहे है सियानी।।
स्नेह अमर ही मरेगा।
कभी नही मरेगा।।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

1 Like · 284 Views
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