छलावा देखकर दुनिया देखकर
छलावा देखकर दुनिया देखकर
दुनिया का, हम अफसोस क्या करते।
किसी फितरत होती है,
किसी आरज़ू , किसी को धोखा देने की।
छलावा देखकर दुनिया देखकर
दुनिया का, हम अफसोस क्या करते।
किसी फितरत होती है,
किसी आरज़ू , किसी को धोखा देने की।