छमा करौs हे महाकवि( मैथिली क बोली अंगिका में कविता) )
छमा करौs हे महाकवि
उ अपराध आरो पाप हमर
देखो मिटे छै छाप माटी उपज के
बिलख रहलो छै गंगा जल के धारा
काटनै छोॅ होथौं पाव अपने
लाल लाल सगरे खुन बरसहौं
भाषा मिठास के भुलिये रहलो छै आबे
छमा करौs हे महाकवि
उ अपराध आरो पाप हमर
गावँ सडकें करनै छै शृंगार
हरियाली देखि मिटै छै थकान सारा
चिड़ियां सिनी जेरा के जेरा
गाछ पे डेरा डालनै रहै छै
बटोही सुनाबै छौ मिटा मिट्टा गीतनाद सारा
लागै जेना धीरे धीरे ओछल होय रहलो छै सभ्भे
छमा करौs हे महाकवि
उ अपराध आरो पाप हमर
भाषालोक लोक के जीवन से सभ्भे भूलिये रहलो छै
अमृत के घड़ा रहे वोकरा समझ नै पयलहो
छोड़लों हमें घर-परिवार सस्कति शिक्षा,
राखहो भाषा के माय आचार मे बचाय मिथिलापुत्र अंगपुत्र,
जबे साँच बात उ समझ बुझ गेल्हों
छमा करौs हे महाकवि
उ अपराध आरो पाप हमारा
मौलिक एवं स्वरचित
© श्रीहर्ष आचार्य