छप्पय
छप्पय
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रखे हाथ पर हाथ,भला कोई कुछ पाता।
लौटे खाली हाथ,अन्ततः वह पछताता।
करता दो-दो हाथ,सदा मुश्किल से जो ही।
बाधा होती दूर,सफलता पाता वो ही।
जगत पूजता है उसे,करता नित सत्कार है।
अकर्मण्य जो भी मिले,देता अति दुत्कार है।।
**माया शर्मा, पंचदेवरी, गोपालगंज (बिहार)**