छत्र नहीं तानो सिर पर
छत्र नहीं तानो सिर पर,
मुझे धूप ताप में रहने दो।
बहने दो मेरे तन से स्वेद,
मुझे श्रमिकों सा दुख सहने दो।
जयन्ती प्रसाद शर्मा
छत्र नहीं तानो सिर पर,
मुझे धूप ताप में रहने दो।
बहने दो मेरे तन से स्वेद,
मुझे श्रमिकों सा दुख सहने दो।
जयन्ती प्रसाद शर्मा