छठ है आया
छठ है आया
नमन सूर्य को कर
दिनकर को अर्घ्य चढ़ाया ,
सहस्त्रों किरणें चमकाकर रवि
फिर उजला दिखलाया
करके तैयारी ढेर सारी खीर,
और पकवान बनाया
चार दिनों का पर्व छठ है आया।
साफ सफाई करते पावन
घर आगन को ,
और नहा खा से होती
शुरुआत पर्व का ,
लेते हैं संकल्प
पूर्ण करना इस व्रत को ।
खरना में निर्जल रहकर
बनता है प्रसाद खीर का ,
पावन नदियों से जल लाकर
करके पूजन सच्चे मन से
सूर्य देव का ध्यान लगाते I
शुद्ध घी में ठेकुआ , टिकरी
और टोकरी में फल भरकर
पीत वस्त्र धारण करते हैं ,
और कहारी बन माता की
श्रद्धा भाव से सिर पर लेकर
पावन नदियों के तट जाते ।
जल में होकर खड़ा सूर्य को
अपना अर्घ्य समर्पित करते ,
छठ माता भी कहते हैं हम।
पूजन करते अंतर्मन से
हाथ जोड़ छठी माई से
सुख ,समृद्धि का वर पाते हैं I
इससे पावन नहीं और
कोई त्यौहार ,
सहकर कष्ट परम सुख पाते
भक्त अपार !