छठ है आया
देकर अर्घ्य सूर्य को जल चढ़ाया
सहस्त्रों किरणें चमकाकर रवि
फिर उजला दिखलाया
करके तैयारी ढेर सारी खीर,और पकवान बनाया
चार दिनों का पर्व छठ है आया।
साफ सफाई करके घर आगन को सजाया।
नहाय खाय से शुरू करके व्रत का
संकल्प मैंने अपनाया।
खरना में निर्जल रहकर खीर और गुड़ घी का प्रसाद बनाया।
करके पूजन सच्चे मन से सूर्य देव ओर छठी मैया को मनाया।
छोटी सी टोकरी में लडडू, ठेकुआ और फल है लाया
रहकर खड़ी नदी किनारे मैंने छठ माता
का पूजन कराया।
करके पूजन फिर मिठाई का भोग लगाया
पाकर सुख आनन्द से मन हर्षाया।
जोड़कर हाथ छठी माई से सुख समृद्धि
संतान के लिए आशीर्वाद पाया।
” कविता चौहान”
स्वरचित