Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Oct 2022 · 1 min read

छठ पर्व

हो गए नवीन सारे जीर्ण जलाशय-सरित औ’ पोखर,
ज्यों परम पावन हुए सभी,समग्र अपने पाप धोकर।
सब हट गए शैवाल कुंभी जंजाल जल के बीच से,
मुसक पड़ा मुरझा हुआ कमल भी मुग्ध होकर कीच से।

जगने लगी नव-नव लहरियाँ पवन के मृदु थाप पाकर,
लौट आने लगी फिर वे पुलिनों से जाकर,टकराकर।
शोभ उठा पूरब दिशि में उषा का मेंहदी रचित हाथ।
रात्रि ने लो अंधकार का छोड़ा धीरे – धीरे साथ।

गलने लगा तम रात का फिर नव भोर की बेला हुई।
ज्योति की संजीवनी ने चिर तम में चेतनता छुई।
पंछी-कुल कल-कल सु-गान करतीं,नीड़ में जगने लगीं।
ज्यों होने लगा विहान उनकी प्रभातियाँ लगने लगीं।

सुमन निज मधु मकरंद संग्रह जब पवन को देने लगे।
तब तृण-तरु अरु वल्लरी खरककर करवटें लेने लगे।
झरती हुई नीहार की शीतल बून्दें बन मुक्तामणि।
संज्ञाहीन करके छेद जाती यथा बेधता है अणि।

गुह्य-गुफा-उदयाचल में एक दीप दीपित हो गया।
आहा! जगमगाकर खिल उठा सब घाट में जीवन नया।
निशीथ के पथिक वे श्रांत तारे,उडुगण आकाश में,
दिख पड़े सभी क्षीण-ज्योत,नव दीप के प्रबल प्रकाश में।

जल में खड़े नर-नारी सब जन अर्घ-जल देने लगे,
शीश पर आशीष-युत-कर अंशुमाली की लेने लगे।
गूँजने लगे सभी ओर मंत्रोचार वैदिक सूक्तियाँ,
अर्पण हुए आदित्य पर पकवान व्यंजनादि भुक्तियाँ।

नत नमन करबद्ध सारे जन होकर खड़े भक्ति भाव से,
देखते फल, व्यंजन, ठेकुआ बच्चे बड़े ही चाव से।

-सत्यम प्रकाश ‘ऋतुपर्ण’
(स्वरचित व मौलिक)

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 289 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
इश्क़ में ज़हर की ज़रूरत नहीं है बे यारा,
शेखर सिंह
पीने -पिलाने की आदत तो डालो
पीने -पिलाने की आदत तो डालो
सिद्धार्थ गोरखपुरी
तुमसे एक पुराना रिश्ता सा लगता है मेरा,
तुमसे एक पुराना रिश्ता सा लगता है मेरा,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
वसंततिलका छन्द
वसंततिलका छन्द
Neelam Sharma
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
जंग लगी थी सदियों से शमशीर बदल दी हमने।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"कभी-कभी"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रीत निभाना
प्रीत निभाना
Pratibha Pandey
कर तो रहे हैं वो ,और दे रहे हैं ,
कर तो रहे हैं वो ,और दे रहे हैं ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
मैं तुझे खुदा कर दूं।
मैं तुझे खुदा कर दूं।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
Education
Education
Mangilal 713
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
लोग रिश्ते या शादियों के लिए सेल्फ इंडिपेंडेसी और सेल्फ एक्च
पूर्वार्थ
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
मायूसियों से निकलकर यूँ चलना होगा
VINOD CHAUHAN
मुक्ति
मुक्ति
Shashi Mahajan
এটা আনন্দ
এটা আনন্দ
Otteri Selvakumar
माँ का प्यार
माँ का प्यार
Sandhya Chaturvedi(काव्यसंध्या)
विकृतियों की गंध
विकृतियों की गंध
Kaushal Kishor Bhatt
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
रुक्मिणी संदेश
रुक्मिणी संदेश
Rekha Drolia
ग़ज़ल _ कहाँ है वोह शायर, जो हदों में ही जकड़ जाये !
ग़ज़ल _ कहाँ है वोह शायर, जो हदों में ही जकड़ जाये !
Neelofar Khan
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
जिसने शौक को दफ़्नाकर अपने आप से समझौता किया है। वह इंसान इस
Lokesh Sharma
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
हो सकता है कि अपनी खुशी के लिए कभी कभी कुछ प्राप्त करने की ज
Paras Nath Jha
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
मैं दुआ करता हूं तू उसको मुकम्मल कर दे,
Abhishek Soni
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3353.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
यही रात अंतिम यही रात भारी।
यही रात अंतिम यही रात भारी।
Kumar Kalhans
लौट कर फिर से
लौट कर फिर से
Dr fauzia Naseem shad
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
. *विरोध*
. *विरोध*
Rashmi Sanjay
*सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं (हिंदी गजल)*
*सुबह हुई तो सबसे पहले, पढ़ते हम अखबार हैं (हिंदी गजल)*
Ravi Prakash
मालिक मेरे करना सहारा ।
मालिक मेरे करना सहारा ।
Buddha Prakash
#सब_त्रिकालदर्शी
#सब_त्रिकालदर्शी
*प्रणय*
Loading...