*छंद–भुजंग प्रयात
*छंद–भुजंग प्रयात
1-
सुनो टेर मेरी कहाँ हो विधाता!
सदा साथ देना मुझे दान-दाता!!
दुखी-दीन को है कभी ना सताना!
यही धर्म देखो सभी को निभाना!!
2-
जले धूप में हैं सभी आज सारे!
चलें वृक्ष की छाँह में हो किनारे!!
नदी में नहीं नीर है क्या पियोगे!
किया दोष है जो तुम्हीं तो सहोगे!!
✍️ पूनम गुप्ता
कायमगंज (फर्रुखाबाद)