छंद-पदपादाकुलक छंद
छंद- पदपादाकुलक छंद
मात्रा=१६
आरम्भ और अन्त -२या११से अनिवार्य
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प्रभुवर सब का पालन करते।
जीवन पथ पर हर दुख हरते।
हरि हर हरि हर रटती रसना।
कह पावन शीतल मन बसना।।
उपवन धारा प्रेमिल बहती।
ज्ञान प्रेम की बातें कहती।
कलि-कलि मनहर सौरभ फलता।
गुन-गुन भँवरा रस-रस पलता।।
घट-घट कण-कण रघुवर बसते ।
जन-जन के दुख कटते हँसते।
सिमरन पल-पल मानव कर ले।
जीवन अपना सुमधुर भर ले।।
शीला सिंह बिलासपुर हिमाचल प्रदेश 🙏