छंद घनाक्षरी…
कृपाण घनाक्षरी-श्रीकृष्ण जन्म…
मैया की पीन पुकार, सुनते थे बारंबार,
करने पाप संहार, आए स्वयं इस बार।
छुपी प्रलय वृष्टि में, हलचल थी सृष्टि में,
दृश्य अद्भुत दृष्टि में, हुए जो प्रभु साकार।
द्वारपाल सब सोए, आगत नैन संजोए,
वक्त हार-पल पोए, खुल गए सारे द्वार।
मिला सुखद संदेश, खिला नया परिवेश,
हर्षित देव-देवेश, करते जै जयकार।
मनहरण घनाक्षरी…
रहिए न दूर-दूर, नज़रें मिलें हुजूर
कहनी बात दिल की, जरा पास आइए ।
दुनिया बड़ी बेवफा, हर वक्त रहे खफा
जाने भी दें इसकी, बात में न आइए ।
माना हम दीवाने हैं, सत्य से अनजाने हैं,
मनाएँ कैसे दिल को, कुछ तो सुझाइए ।
दुनिया है आनी-जानी, रह जाती है कहानी,
बढ़ाइए हाथ और, गले से लगाइए।
© डॉ. सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद (उ.प्र.)