रक्षाबंधन
कोरोना काल में रक्षाबंधन मनायें कैसे
संक्रमण का डर है पीहर जाये कैसे।
किसी भी त्योहार में मन नहीं लगता,
कौन पाज़िटिव हो जाए मन में खटकता,
मन में समाए डर को हटायें कैसे,
संक्रमण का डर है पीहर जायें कैसे।
संकट की घड़ी भाई का जेब है खाली,
नजरों में उदासी खड़ा बन के सवाली,
उसके उतरे चेहरे को खिलाये कैसे,
संक्रमण का डर है पीहर जाये कैसे।
अब तो एक ही उपाय है बाकी,
चलिए भेज देते हैं अब ई-राखी,
इस त्योहार को निपटाये कैसे।
नूरफातिमा खातून नूरी
कुशीनगर