छंदमुक्त कविता
सबको खुदा ने एक समान बनाया है,
सबके रंगों में लाल खून दौड़ाया है।
सारे मानव जाति माटी के बनें हैं,
सबके सब मां के पेट से जने हैं,
फिर क्यों मन में बैर समाया है।
सबको खुदा ने एक समान बनाया है।
धन -दौलत तो आता जाता है
गोरा- काला क्या चैन दिलाता है
फिर क्यो भाई -भाई को आजमाया है
सबको खुदा ने एक समान बनाया है।
जाति- पाति, लिंग का भेद न कर,
कहीं ख़ुदा भेज न दे हमपे कहर।
उसी ने जहां का निज़ाम बनाया है,
सबको खुदा ने एक समान बनाया है।।
नूरफातिमा खातून नूरी शिक्षिका
जिला-कुशीनगर