Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Jun 2020 · 1 min read

हम तो आधुनिक कहलाने लगे हैं

हम तो आधुनिक कहलाने लगे हैं
छोड़ हिन्दी अंग्रेजी बतियाने लगे हैं

छोड़ा हमने दाल पुरी,लिट्टी बनाना
चोखा , चटनी और खीर बनाना

आर्डर कर खाना घर मंगाने लगे हैं
हम तो आधुनिक कहलाने लगे हैं

रोजा ,नमाज,दिनी किताब के लिए
नहीं है समय किसी से बात के लिए

सोशल मीडिया पर समय बिताने लगे हैं
हम तो आधुनिक कहलाने लगे हैं

लड़कियों के बाल, कपड़े छोटे होने लगे
लड़के रखें चोटी ,कान भी छिदवाने लगे

अब तो हाय -बाय से काम चलाने लगे हैं
हम तो आधुनिक कहलाने लगे हैं।

नूरफातिमा खातून” नूरी”
कुशीनगर
‌ 17/6/2020

Language: Hindi
2 Likes · 4 Comments · 495 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*नगर अयोध्या ने अपना फिर, वैभव शुचि साकार कर लिया(हिंदी गजल)
*नगर अयोध्या ने अपना फिर, वैभव शुचि साकार कर लिया(हिंदी गजल)
Ravi Prakash
2634.पूर्णिका
2634.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
"आभाष"
Dr. Kishan tandon kranti
विचार ही हमारे वास्तविक सम्पत्ति
विचार ही हमारे वास्तविक सम्पत्ति
Ritu Asooja
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
सीमजी प्रोडक्शंस की फिल्म ‘राजा सलहेस’ मैथिली सिनेमा की दूसरी सबसे सफल फिल्मों में से एक मानी जा रही है.
श्रीहर्ष आचार्य
महोब्बत करो तो सावले रंग से करना गुरु
महोब्बत करो तो सावले रंग से करना गुरु
शेखर सिंह
मित्रतापूर्ण कीजिए,
मित्रतापूर्ण कीजिए,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मईया के आने कि आहट
मईया के आने कि आहट
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
एक शे'र
एक शे'र
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
दिल जल रहा है
दिल जल रहा है
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
ग़म भूल जाइए,होली में अबकी बार
Shweta Soni
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
अभाव और कमियाँ ही हमें जिन्दा रखती हैं।
पूर्वार्थ
** अब मिटाओ दूरियां **
** अब मिटाओ दूरियां **
surenderpal vaidya
भर गया होगा
भर गया होगा
Dr fauzia Naseem shad
तेरी परवाह करते हुए ,
तेरी परवाह करते हुए ,
Buddha Prakash
#जयहिंद
#जयहिंद
Rashmi Ranjan
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
ग़ज़ल _ मिले जब भी यारों , तो हँसते रहे हैं,
Neelofar Khan
आंखों से बयां नहीं होते
आंखों से बयां नहीं होते
Harminder Kaur
मंजिल छूते कदम
मंजिल छूते कदम
Arti Bhadauria
भारत माता की वंदना
भारत माता की वंदना
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सविता की बहती किरणें...
सविता की बहती किरणें...
Santosh Soni
सुंदर विचार
सुंदर विचार
Jogendar singh
■ आज का आखिरी शेर।
■ आज का आखिरी शेर।
*प्रणय प्रभात*
21-- 🌸 और वह? 🌸
21-- 🌸 और वह? 🌸
Mahima shukla
परम्परा को मत छोडो
परम्परा को मत छोडो
Dinesh Kumar Gangwar
मै शहर में गाँव खोजता रह गया   ।
मै शहर में गाँव खोजता रह गया ।
CA Amit Kumar
भूल
भूल
Dr.Pratibha Prakash
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
पुजारी शांति के हम, जंग को भी हमने जाना है।
सत्य कुमार प्रेमी
कुदरत के रंग.....एक सच
कुदरत के रंग.....एक सच
Neeraj Agarwal
महिला दिवस विशेष दोहे
महिला दिवस विशेष दोहे
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
Loading...