छंदबद्ध कविता
तिलका छंद:
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शिर्षक- पुष्प
परिजात खिले, हर डाल मिले
जब वायु चले ,हर पुष्प हिले
सब फूल झरे, फिर झाउ भरे
कुछ फूल चुने, तब हार बने
शिव हार चढ़े ,मन भाव बढ़े
सब कष्ट हरो, दुख दूर करो ।
जब फूल खिले ,तब प्रेम पले
खुशबू महके, सजना बहके
कुछ तारण की ,मनभावन की
तरु पुष्प खिले ,मनमीत मिले
मन भी बहका,पिक भी चहका
सुख भोर हुई ,सब ओर हुई
-रंजना वर्मा