चौराहा
नमन मंच
9/1/2019
छंद मुक्त चौराहा
इक चौराहे पर खड़ा हुआ
सोच रहा था मानव मन
सत्य की पकड़ूं राह
या पतली गली से निकल जाऊं
अपनी सुख सुविधा में खो जांऊ
सोंच रहा, मन हुआ विकल
खड़ा हुआ चौराहे पर!
अन्तर्मन मन की
क्या बात सुनूँ
या दुनियादारी की बातों से
अपना पल्ला झाड़ चलूँ
अपनी सुख-सुविधा में खो जाऊं
सोच रहा मन विकल
खड़ा हुआ चौराहे पर!
चुनावों में जीतूं
अपना घर आबाद करूँ
या औरों के दुख दुख दर्द बटाऊं
संविधान के मंत्र पढ़ूं
या आंखें बंद रज़ाई ओढ़ कर सो जाऊं
सोच रहा
मन हुआ विकल
खड़ा हुआ चौराहे पर !
हो कहीं कोई दुर्घटना
वीडियो एक बनाऊं मैं
उसको वायरल कर जाऊं
या घायल की कुछ सेवाकर
जान अनमोल एक बचाऊं
सोच रहा
मन हुआ विकल
खड़ा हुआ चौराहे पर !
मीनाक्षी भटनागर
स्वरचित