चौपाई
“चौपाई”
बाबा शिव शंभू सैलानी, कीरति महिमा अवघड़ दानी
बाजत डमरू डम कैलाशा, राग-विराग अटल बर्फानी॥-1
स्वर चौदह चौरासी योनी, लिखा ललाट मिटे कत होनी
सत्य सती धरि रूप बहूता, को सके रोक यज्ञ अनहोनी॥-2
चौदह वर्ष बिपिन वनवासा, लक्ष्मण राम सिया विश्वासा
रावण कुंभकरण दुर्वाषा, अहम कोप निद्रा रुध साँसा॥-3
खड़ा हिमालय साधू संगा, कलरव साधक योग विहंगा
मान सरोवर निश्छल गंगा, नन्दन नंदी बमबम भंगा॥-4
माँ जगदंबे सिंह सवारी, रूप कालिका दैत्य संघारी
विनती गौतम कर-कर जोरी, पूत कपूत क्षमहू महतारी॥-5
महातम मिश्र, गौतम गोरखपुरी