चौकीदारी
अमीर तुम हो, तुमने,
चौकीदार रक्खे होंगे।
गरीब हम है, हमने,
सीखी चौकीदारी है।।
ये देश अपना जो हमे,
जान से भी प्यारी है।
उसकी रक्षा करना भी,
तो सबकी जिम्मेदारी है।।
किसान खलिहानी में,
भी करता पहरेदारी है।
गरीब हम है, हमने,
सीखी चौकीदारी है।।
फर्क क्या पड़ता तुम्हें,
स्वर्ण पलने में पलते हो।
पैदा होते ही करोड़ो के,
खिलौने ले कर चलते हो।।
वाताकुलित कमरे में ही,
मौसम की ताबेदारी है।
गरीब हम है, हमने,
सीखी चौकीदारी है।।
डॉक्टर, वकील, शिक्षक,
लेखक की सहित्यकारी है।
अपने अपने क्षेत्र में देखो,
इन सबकी चौकीदारी है।।
पर तुम कैसे समझोगे,
महत्ता इसकी भारी है।
गरीब हम है, हमने,
सीखी चौकीदारी है।।
©® पांडेय चिदानंद “चिद्रूप”
(सर्वाधिकार सुरक्षित १९/०३/२०१९ )