चोर साहूकार कोई नहीं
चोर साहूकार कोई नहीं
फ़र्क़ तहक़ीक़ात का है
छूठ सच कुछ नहीं
फर्क बस हालात का है
सब स्वप्न है बस यहाँ पर
फ़र्क़ बंद खुली आँख का है
बात बातें सब ठीक हैं
फर्क बस लहजे लिहाज़ का है
दीये की हिम्मत उम्र एक सी है
फर्क बस आँधी हवा के साथ का है
रथ आरोही ,रण में हत सब एक से
फ़रक बस कल आज का है
डा राजीव “सागरी”
प्यादा ,बादशाह एक साथ पड़े
फर्क चौसर बिछने उसके बाद का है