चोरी चोरी छुपके छुपके
क्यों ऐसी क्या बात हुई, यहाँ कैसे मिले हम चलकर।
छोड़ चमन क्यों ऐसे कहाँ, अब चल दिये पँछी बनकर।।
चोरी चोरी छुपके छुपके ———(2)
क्यों ऐसी क्या बात—————–।।
ऐसी खबर क्या हमको मिली, सुनकर जिसको हैरान हुए।
क्यों मान उसे अपने काबिल, क्यों ऐसे हम परेशान हुए।।
छोड़ सफर किस राह पे कहाँ,अब चल दिये राही बनकर।।
चोरी चोरी छुपके छुपके———(2)
क्यों ऐसी क्या बात—————-।।
क्यों कितने यहाँ मौसम बदले,कभी शुष्क हवा, कभी बहार चली।
क्यों किसके नयन से अश्क बहे, क्यों कैसे खबर यह हमको मिली।।
छोड़ी किसने अपनी जमीं,और चल दिये अजनबी बनकर।
चोरी चोरी छुपके छुपके——(2)
क्यों ऐसी क्या बात—————–।।
किसको है यहाँ किससे शिकायत, गिले- शिकवे वह दूर करें।
दिल में रहे नहीं कल को वहम, कहने में नहीं शर्म करें।।
क्यों किस पर यूं करके भरोसा, यूं चल दिये बादल बनकर।
चोरी चोरी छुपके छुपके—-(2)
क्यों ऐसी क्या बात ——————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)
मोबाईल नम्बर- 9571070847