चोट
चोट का लगना भी
जीवन में जरूरी होता है
कौन अपना है ,कौन पराया
इस बात का एहसास
यह चोट ही हमें कराता है।
किसने मरहम लगाया चोट पर
किसने नमक है छिड़का
इंसान को पहचानने का
यह इल्म यह चोट हमें बताता है
यह अलग बात है की
अपनों से मिले चोट पर
आदमी खुलकर रोता नही
पर अपने और पराये के
बीच का यह अन्तर
यह चोट ही हमें दिखाता है।
अपने मेरे अपने है
या ढोंग रच रहे है
मेरे सामने
इस बात की परख
यह चोट हमें बखूबी समझाता है।
~अनामिका