चोट
कल फिर एक चोट खाई है मैने,
एक और घाव चीसे मार रहा है,
रिस रहा है धीरे धीरे
असीम दर्द,
भयंकर यंत्रणा है,
ज़ख़्म दर्दनाक है,
दर्दिला
और दुखदाई है,
चुभता रहेगा,
दुःखता रहेगा,
रखूँगी फिर भी सहेजकर,
दिल के क़रीब,
समेटकर,
आख़िर किसी अपने का दिया जो है!!
©मधुमिता