चोट लगे हमको तो दर्द बहुत होता हैं,
कविता
चोट लगे हमको दर्द बहुत होता हैं,|
लगे हमें तो इसका यहशास बुरा होता हैं,||
आवाज़ निकले मुँह से,दर्द बहुत होता हैं,
आँखों में देखो तो दरिया सा बहता हैं,||
साथ हो अपने तो इसका यहशास अलग होता हैं,|
शीने लगा ले हमें वो ये मन हमारा कहता हैं,||
न रोया हो जो सब के सामने वो अकेले में बहुत रोता हैं,|
कोई मिल जाय उसे जिसके आँचल में चुपके से सो जाय,||
समय कितना भी रहा हो बलवान,|
जब भी वो संयम न खोया हैं,||
मार जाते हैं ,अपने ही घाव गहराई में,|
इसलिये इन्हें सोच कर बहुत रोया हैं,||
पूँछों न किसी से किसने क्या खोया हैं,|
किसी ने मजबूरी में तो किसी ने अपात में खोया हैं,||
पाने का यहशास भी खोने से ही होया हैं,|
दर्द का यहशास मयूँशी में ही होया हैं,||
चोट लगे हमें तो दर्द बहुत होता हैं,
हमें इसका यहशास बहुत बुरा होता हैं,||
लेखक—–
Jayvind singh