चैन कहाँ आराम कहाँ अब
चैन कहाँ आराम कहाँ अब
खुशियों वाली शाम कहाँ अब
जिसने प्रेम सिखाया जग को
राधा का वो श्याम कहाँ अब
इक दूजे के लिये बने, वो
लक्ष्मण सीता राम कहाँ अब
यहाँ वहाँ बस घूम रहे सब
जाते चारों धाम कहाँ अब
बचपन में जो छुप छुप तोड़े
बगिया के वो आम कहाँ अब
करतीं सारे काम मशीनें
है गरीब को काम कहाँ अब
हाय हलो है चलते चलते
दिल से दुआ सलाम कहाँ अब
जिसे लगाया था बचपन में
माँ की मरहम बाम कहाँ अब
यूँ तो शायर बहुत हो गए
पर ग़ालिब सा नाम कहाँ अब