*चैत : 13 दोहे*
चैत : 13 दोहे
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होली बीती पर कहॉं, गया फाग का रंग ।
मन-मधुकर में आ गई, दूनी और उमंग ।।1
आया जब से चैत है, रुचि श्रृंगार-प्रधान ।
वृक्ष लगे दुल्हन-सजी, पहने नव-परिधान ।।2
ब्यूटी पार्लर में गए, सजने मानो पेड़।
सजग हाथ से चैत ने, मादक धुन दी छेड़ ।।3
शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा, पावन चैत महान ।
नए वर्ष का हो रहा, नैसर्गिक उत्थान।।4
वृक्षों से पूछा गया, कब है नूतन वर्ष ।
बोले पत्ते जब नए, छाए चहुॅंदिशि हर्ष ।।5
शहद हवाओं में घुला, मस्ती चारों ओर ।
चैत मधुरतम माह है, इसका ओर न छोर ।।6
जब सॉंसों से बज उठे, बंसी की धुन आप ।
समझो आया चैत है, ले ढोलक की थाप ।।7
प्रथम दिवस जब चैत का, बिखरा हुआ गुलाल ।
पिचकारी ने कर दिया, रंगो भरा कमाल ।।8
धूप नई दुल्हन हुई, शर्मीली पदचाप।
चैत महीने ने दिया, रंग प्रेम का छाप ।।9
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह।
रहता पूरे चैत-भर, फागुन का उत्साह।।10
नव संवत ने चैत का, किया राज्य-अभिषेक ।
फागुन की मंशा मगर, दिखती तनिक न नेक ।।11
नया वर्ष जिससे शुरू, महिमा अपरंपार ।
चैत सुहानी को मिला, रानी का पद-भार ।।12
रानी फागुन को मिला, राजा चैत महान ।
चैती के मेले लगे, फागुन गंध प्रधान।।13
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451