चैत्र मास के सुंदर जंगल
हरे भरे हैं नवल धवल से
लगते जैसे धुले धुले से
ताजगी लिए मुस्काए से
मानो सजकर खड़े हुए हैं
जैसे कहीं गमन को आतुर
चैत्र मास के सुंदर जंगल ।
कोमल कोमल पातों वाले
मादक मादक खुशबू वाले
प्यार लुटाते से धरणी पर
बड़े नेहसिक्त हृदय वाले
बड़े सजे से और सँवरे से
चैत्र मास के सुंदर जंगल ।।
हरियाली झोली में लाये
जी भर वसुधा को दे जायें
फर फर करके मन की बातें
मनहु महक संग गीत सुनायें
लगते कितने मोहक मोहक
चैत्र मास के सुंदर जंगल ।।
डॉ रीता सिंह
चन्दौसी सम्भल